SBI, PNB and HDFC बैंक खाता धारकों की हवा टाइट, अब बैंक में रखना होगा 10,000 से ज्यादा – Minimum Balance Limit

Minimum Balance Limit: अगर आपका बैंक खाता स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB) या एचडीएफसी बैंक (HDFC) में है, तो यह खबर आपके लिए बेहद जरूरी है। इन प्रमुख बैंकों ने अपनी मिनिमम बैलेंस (न्यूनतम शेष राशि) की शर्तों में बड़ा बदलाव किया है। अब खाताधारकों को अपने सेविंग अकाउंट में कम से कम 10,000 रुपये तक की राशि बनाए रखनी होगी। अगर खाते में इस तय राशि से कम बैलेंस पाया गया, तो बैंक की ओर से पेनल्टी भी लगाई जा सकती है। यह नया नियम शहरी और मेट्रो शहरों के ग्राहकों के लिए खासतौर पर लागू किया गया है और इसका सीधा असर आम खाताधारकों की जेब पर पड़ेगा।

SBI का नया नियम

देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक SBI अपने खाताधारकों के लिए पहले ही कुछ शहरों में मिनिमम बैलेंस की सीमा 3,000 से बढ़ाकर 10,000 रुपये तक कर चुका है। बैंक का कहना है कि डिजिटल बैंकिंग और बढ़ती सर्विस डिमांड को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। अगर ग्राहक अपने खाते में यह न्यूनतम राशि बनाए नहीं रखते हैं, तो बैंक हर महीने 50 से 600 रुपये तक का चार्ज काट सकता है, जो कि GST सहित हो सकता है। ग्रामीण क्षेत्रों में यह सीमा कम रखी गई है, लेकिन शहरों और कस्बों में यह नया नियम सख्ती से लागू किया जा रहा है।

HDFC का बैलेंस स्ट्रक्चर

प्राइवेट सेक्टर के प्रमुख बैंक HDFC ने भी अपने ग्राहकों को अलर्ट जारी किया है। अब शहरी शाखाओं के खातों में 10,000 रुपये का औसत मासिक बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य है। अगर ऐसा नहीं किया गया, तो 150 से 600 रुपये तक की गैर-रखरखाव फीस चार्ज की जा सकती है। बैंक का कहना है कि यह फैसला बैंकिंग ऑपरेशन को बेहतर बनाए रखने और सेवा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए लिया गया है। HDFC की ग्रामीण शाखाओं में यह सीमा थोड़ी कम रखी गई है, लेकिन मेट्रो और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में यह नियम अनिवार्य रूप से लागू किया गया है।

PNB ने भी बदला नियम

PNB यानी पंजाब नेशनल बैंक ने भी अपने ग्राहकों के लिए मिनिमम बैलेंस की सीमा को अपडेट किया है। अब मेट्रो और अर्बन लोकेशन के खातों में कम से कम 10,000 रुपये रखना अनिवार्य होगा। यदि ग्राहक ऐसा नहीं करते हैं, तो उन्हें 250 से 500 रुपये तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। बैंक ने अपने आधिकारिक पोर्टल पर इस बदलाव की जानकारी देते हुए ग्राहकों से अनुरोध किया है कि वे समय पर अपने खाते का बैलेंस चेक करते रहें। साथ ही मोबाइल अलर्ट और नेट बैंकिंग के जरिए बैलेंस मॉनिटर करने की सुविधा को भी अधिक सक्रिय बनाने की सिफारिश की गई है।

ग्राहकों पर सीधा असर

इस नए बदलाव का सीधा असर मिडल क्लास और लो इनकम ग्रुप के ग्राहकों पर पड़ेगा, जो महीने की आमदनी से खर्च निकालने के बाद मुश्किल से थोड़ी बचत कर पाते हैं। अब उन्हें अपने बैंक खाते में हर समय 10,000 रुपये बनाए रखने होंगे, वरना उन्हें पेनल्टी का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से छोटे व्यापारियों, स्टूडेंट्स और नौकरीपेशा वर्ग को अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग पर दोबारा विचार करना पड़ेगा। कुछ ग्राहकों ने इस बदलाव को अनुचित भी बताया है, लेकिन बैंक इसे अपनी सेवा गुणवत्ता और टेक्नोलॉजिकल इंफ्रास्ट्रक्चर के हिसाब से जरूरी मान रहे हैं।

क्या हैं विकल्प?

यदि आप नए नियमों से परेशान हैं, तो आप जीरो बैलेंस अकाउंट या जनधन योजना के तहत खुलने वाले खातों पर विचार कर सकते हैं। इन खातों में मिनिमम बैलेंस की कोई बाध्यता नहीं होती। साथ ही, कुछ डिजिटल फिनटेक प्लेटफॉर्म अब ऐसे बैंकिंग ऑप्शन भी ऑफर कर रहे हैं, जहां न तो मिनिमम बैलेंस की सीमा होती है और न ही मेंटेनेंस चार्ज। लेकिन ध्यान रखें कि इन विकल्पों के साथ सुविधाएं सीमित हो सकती हैं, जैसे कि ट्रांजेक्शन की लिमिट या चेकबुक न मिलना। इसलिए किसी भी निर्णय से पहले अपने जरूरत और बैंक सुविधाओं का अच्छे से मूल्यांकन करना जरूरी है।

आगे क्या उम्मीद की जाए

बैंकिंग सेक्टर में आने वाले महीनों में और भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं। बढ़ती डिजिटल बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर कॉस्ट और साइबर सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, बैंक अब अपने उत्पादों और सेवाओं की कीमत में समायोजन कर रहे हैं। आने वाले समय में संभव है कि और भी बैंकों द्वारा मिनिमम बैलेंस की लिमिट बढ़ाई जाए। वहीं, ग्राहक संगठनों और उपभोक्ता फोरम से जुड़े लोग इस पर सवाल उठा रहे हैं और RBI से हस्तक्षेप की मांग कर सकते हैं। ऐसे में खाताधारकों को अपने खाते की स्थिति पर नियमित निगरानी बनाए रखनी चाहिए।

अस्वीकरण

यह लेख केवल सूचनात्मक उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें दी गई जानकारी विभिन्न सार्वजनिक स्रोतों और समाचार रिपोर्ट्स पर आधारित है, जो समय के साथ बदल सकती हैं। पाठकों को सलाह दी जाती है कि वे बैंक से जुड़ी किसी भी वित्तीय योजना या निर्णय से पहले संबंधित बैंक की आधिकारिक वेबसाइट या कस्टमर केयर से पुष्टि अवश्य करें। यह लेख किसी भी प्रकार की वित्तीय सलाह नहीं देता और न ही किसी बैंक के साथ सीधी संबद्धता रखता है। लेखक या प्रकाशक लेख में दी गई जानकारी के पूर्ण सत्यापन या अद्यतन की गारंटी नहीं लेते हैं। कृपया अपने विवेक और समझदारी से ही कोई निर्णय लें।

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